
आगरा स्थित विश्वप्रसिद्ध ताजमहल के संरक्षण और रख-रखाव को लेकर नई चुनौतियां सामने आ रही हैं। मुख्य गुंबद पर पौधा उगने के करीब 11 महीने बाद अब ताजमहल के गेस्ट हाउस की ओर वाली एक मीनार पर भी पौधे का उगने का एक वीडियो वायरल हुआ है। पर्यटकों द्वारा बनाए गए इस वीडियो को सोशल मीडिया पर साझा किया गया है, जिसने ताजमहल की मरम्मत और संभाल को लेकर चर्चा को तेज कर दिया है।
मुख्य गुंबद की ओर यमुना नदी की तरफ उगा एक पौधा तीन दिन पहले तब सुर्खियों में आया था जब बरसात के पानी से मुख्य गुंबद से नीचे स्थित कब्रों पर पानी टपकता देखा गया। इस घटना ने स्मारक की भव्यता और संरचनात्मक स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े किए थे। खासतौर पर तब जब बरसात के दौरान ताजमहल के गार्डन में पानी भरने की भी समस्या देखी गई थी।
इतना ही नहीं, सिकंदरा में स्थित अकबर के मकबरे में भी बारिश के पानी के रिसाव से लगभग 400 साल पुरानी सुनहरी पेटिंग खराब हो गई थी। ऐसे में पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) ने ताजमहल के संरक्षण कार्य को लेकर जल्द मरम्मत की बात कही है, लेकिन जनता और संरक्षण विशेषज्ञ अभी भी प्रशासन की तत्परता से संतुष्ट नहीं हैं।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ताजमहल की संरक्षण स्थिति को लेकर कई गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए मुख्य गुंबद पर उगे पौधे और कलश में जंग लगने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कीं। इसके साथ ही उन्होंने ताजमहल की देखरेख के लिए दिए गए करोड़ों रुपए के उपयोग और उनके प्रभावों का हिसाब मांगा है।
अखिलेश यादव ने ट्विटर (X) पर लिखा कि “दुनिया के सबसे बड़ा पर्यटन केंद्र ताजमहल की स्थिति इस कदर खराब है कि वहां पेड़ उग आए हैं, कलश पर जंग लग रही है और बरसात के पानी की वजह से स्मारकों को नुकसान पहुंच रहा है। भारतीय सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह इस अमूल्य धरोहर का बेहतर ढंग से रख-रखाव करे।”
उन्होंने विशेष रूप से निम्नलिखित मुद्दों को उजागर किया है:
- ताजमहल के मुख्य गुंबद पर लगे कलश की धातु में जंग लगने की गंभीर आशंका।
- मुख्य गुंबद से पानी टपकने और उसकी वजह से स्मारक की संरचना को खतरा।
- गुंबदों पर उगे पेड़, जिनकी जड़ें दरारें उत्पन्न कर स्मारक को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
- ताजमहल परिसर में बंदरों के बिगड़ते प्रकोप को नियंत्रित न कर पाना।
- परिसर में जलभराव की बढ़ती समस्या।
इसके अलावा, बरसात के दौरान ताजमहल की सुंदर बागवानी वाली जगहों पर जलभराव की समस्या सार्वजनिक हुई थी, जिससे नाजुक पौधों को नुकसान पहुंचा था। वहीं, हाल ही में ताजमहल के शिल्पग्राम परिसर में बने टॉयलेट की छत गिरने जैसी घटनाएं भी सामने आई हैं, जो विभागीय लापरवाही को दर्शाती हैं। वैसे ही, स्मारक के अंदर दो व्यक्तियों और एक महिला द्वारा अवैध रूप से टॉयलेट करने के मामले ने संरक्षण व्यवस्था पर और प्रश्न खड़े कर दिए हैं।
ताजमहल जैसे विश्व धरोहर स्थल की देखरेख में यह सारी घटनाएं बेहद चिंता का विषय हैं। एक ओर जहां पर्यटक लाखों की संख्या में यहां आते हैं, वहीं दूसरी ओर ऐसे संरक्षण की कमियां स्मारक की गरिमा को ठेस पहुंचा रही हैं। विशेषज्ञों ने ताजमहल की नियमित जांच, मरम्मत और साफ-सफाई के लिए ठोस और पारदर्शी योजना बनाने की सलाह दी है।
इसके साथ ही, जिन लोगों ने ताजमहल की देखरेख का जिम्मा संभाला है, उनसे भी जनता को जवाबदेही की मांग है कि वे किस प्रकार दिए गए फंड का सही इस्तेमाल कर रहे हैं और स्मारक की वर्तमान स्थिति से निपटने के लिए कब तक प्रभावी कदम उठाएंगे।
वर्तमान परिस्थिति का असर ताजमहल की फेम पर पड़ना निश्चित है। इसलिए कि यह न केवल भारत की सांस्कृतिक विरासत है, बल्कि विश्वभर के पर्यटकों की पहली पसंद भी है। इसलिए ताजमहल की ऐसी हालत को सुधारना सरकार और संबंधित विभाग की तत्काल प्राथमिकता होनी चाहिए।
सारांशतः ताजमहल के मुख्य गुंबद के बाद मीनार पर उगा पौधा इस बात का संकेत है कि स्मारक की देखभाल में अभी बहुत सुधार की आवश्यकता है। पूर्व में भी भाजपा सरकार पर जो सवाल उठाए गए थे, वे आज अधिक सार्थक हो गए हैं। हर भारतीय के लिए यह अपना गौरव है कि ताजमहल हमेशा चमकता रहे, वर्षों तक सुरक्षित रहे, और देश-विदेश से आने वाले हर पर्यटक को गर्व का अनुभव दे सके।
इसलिए सजगता, समर्पण और उचित संरक्षण नीतियों के माध्यम से ही ताजमहल की भव्यता को सुरक्षित रखा जा सकता है। जनता की दृष्टि में सरकार के लिए यह चुनौती है कि वह इस अमूल्य धरोहर को सहेजने के लिए आवश्यक कदम उठाए और इसके लिए पारदर्शिता के साथ जवाबदेही निभाए।
यह समय की मांग है कि ताजमहल के रख-रखाव में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त न की जाए और इस ऐतिहासिक स्मारक की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए तत्परता दिखाई जाए।