
भारत-चीन के बीच अगले महीने से फिर जुड़ेंगे आसमान के रास्ते, एयरलाइंस को तैयारी के निर्देश
भारत और चीन के बीच लंबे अंतराल के बाद हवाई संपर्क एक बार फिर बहाल होने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक, अगले महीने की शुरुआत में दोनों देशों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट सेवा शुरू हो सकती है। सरकार ने एयर इंडिया और इंडिगो सहित प्रमुख एयरलाइनों को कम समय में उड़ानें चालू करने के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया है।
कोरोना और गलवान घटना के बाद रुकी थी सेवा
साल 2020 में कोरोना महामारी फैलने के बाद भारत-चीन के बीच सभी सीधी उड़ानें बंद कर दी गई थीं। उसके कुछ ही महीनों बाद जून में गलवान घाटी में हुई खूनी झड़प ने हालात को और बिगाड़ दिया था।
महामारी से पहले दोनों देशों के बीच हर महीने लगभग 539 सीधी उड़ानें संचालित होती थीं, जिनमें एयर इंडिया, चाइना साउदर्न और चाइना ईस्टर्न जैसी कंपनियां शामिल थीं। इन उड़ानों में 1.25 लाख से अधिक यात्रियों के बैठने की क्षमता होती थी।
सेवा बंद होने के बाद यात्रियों को बांग्लादेश, हॉन्गकॉन्ग, थाईलैंड और सिंगापुर जैसे कनेक्टिंग हब के जरिये यात्रा करनी पड़ती थी, जिससे समय भी ज्यादा लगता था और किराया भी बढ़ जाता था।
यात्रा के आंकड़े गिरे
एविएशन डेटा कंपनी ‘सिरियम’ के अनुसार, जनवरी से अक्टूबर 2024 के बीच करीब 4.6 लाख लोगों ने भारत और चीन के बीच यात्रा की। जबकि 2019 के शुरुआती 10 महीनों में यह संख्या लगभग 10 लाख थी।
इन यात्राओं में बड़ी संख्या हॉन्गकॉन्ग, सिंगापुर, थाईलैंड और बांग्लादेश के रास्ते हुई।
गलवान से तनाव, कजान में पिघली बर्फ
15 जून 2020 को गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई भिड़ंत में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए, वहीं चीन को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा। इसके बाद सीमा पर तनाव चरम पर पहुंच गया और व्यापार, निवेश और पर्यटन सभी पर असर पड़ा।
हालांकि, पिछले साल रूस के कजान में हुए जी20 सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात ने रिश्तों में सुधार की शुरुआत कर दी। इसके बाद डेमचोक और देपसांग जैसे विवादित इलाकों से सेनाओं की वापसी हुई और कैलाश मानसरोवर यात्रा तथा फ्लाइट सेवा बहाली पर सहमति बनी।
वीजा पाबंदी हटाई
गलवान के बाद भारत ने चीनी नागरिकों के लिए पर्यटक वीजा जारी करना रोक दिया था। लेकिन 24 जुलाई 2024 से यह पाबंदी हटाकर फिर से वीजा जारी करना शुरू कर दिया गया। यह भी दोनों देशों के रिश्तों में नरमी का संकेत है।
संभावित ऐलान और असर
अगले महीने होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के दौरान इस फ्लाइट सेवा का आधिकारिक ऐलान संभव है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इससे पर्यटन और कारोबार दोनों को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही महामारी और सीमा तनाव से प्रभावित रिश्तों में भरोसा बहाल करने में मदद मिलेगी।